पेट्रोल-डीजल के दामों में बढ़ोत्तरी के लिए भाजपा के साथ कांग्रेस भी जिम्मेदार : मायावती

लखनऊ। बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती ने पेट्रोल एवं डीजल के दामों में लगातार हो रही बढ़ोत्तरी व महंगाई के लिए केंद्र की भाजपा सरकार के साथ-साथ कांग्रेस को भी जिम्मेदार ठहराया है। मायावती का कहना है कि मोदी सरकार पूर्ववर्ती कांग्रेस (यूपीए) सरकार की ग़लत आर्थिक नीतियों को ही आगे बढ़ा रही है। इस लिए कल के भारत बंद के लिए कांग्रेस के साथ-साथ भाजपा का अड़ियल रवैया भी जिम्मेदार है। बता दे कि बीते सोमवार हुए भारत बंद को बसपा ने समर्थन नहीं दिया था। भारत बंद के दौरान हुई हिंसा की मायावती ने निन्दा की। साथ ही भाजपा शासित राज्यों में आन्दोलनकारियों के खिलाफ पुलिस के रवैए की भी निन्दा की। मंगलवार को प्रेस वार्ता में मायावती ने कहा कि पेट्रोल-डीजल के दामों में बढ़ोत्तरी व महंगाई के विरुद्ध कल हुए भारत बन्द की स्थिति उत्पन्न होने के लिए हम भाजपा व कांग्रेस दोनों को ही बराबर की जिम्मेवार मानते हैं। क्यांकि कांग्रेस ने ही यू.पी.ए.-दो के शासनकाल में पेट्रोल को सरकारी नियन्त्रण से मुक्त करने का फैसला किया था और उसके बाद केंद्र की सत्ता में आई भाजपा सरकार भी उसी आर्थिक नीति को आगे बढ़ाती रही, यहीं नहीं एक कदम और आगे निकलते हुए डीज़ल को भी सरकारी नियन्त्रण से मुक्त कर दिया, जिसके चलते खेती व किसानी भी काफी प्रभावित हुई है।उन्होंने कहा कि जहां डीजल-पेट्रोल और रसोई गैस की बढ़ती कीमत से जनता पेरशान है, वहीं भारतीय रुपये की कीमत भी रिकार्ड तेज़ी से अन्तर्राष्ट्रीय बाजार में गिर रही है। लेकिन जनविरोधी व अहंकारी मोदी सरकार जनता की इन परेशानियों से विचलित नजर नहीं कर रही। क्यांकि बीजेपी सरकार इस चुनावी वर्ष में अपने पूँजीपतियों व धन्नासेठों साथियों को नाराज करना नहीं चाहती है जिनके धनबल पर वह केन्द्र की सत्ता में आयी है और फिर आनो का सपना देख रही है।उन्होंने कहा कि कांग्रेस और भाजपा दोनों ही बिग टिकट रिफार्म यानि बड़े आर्थिक सुधार के नाम पूँजीपतियों व धन्नासेठों के समर्थन में और ग़रीब, किसान व जनविरोधी नीतियों और फैसलों को वापस लेने के मामले एक जैसे और एक ही एक ही थैली के चट्टे-बट्टे लगते हैं।मायावती ने कहा कि केन्द्र सरकार का यह कहना है कि वह पेट्रोल व डीज़ल के मूल्य को नियंत्रित नहीं कर सकती है क्योंकि यह उसके नियंत्रण के बाहर है। इससे बसपा सहमत नहीं है। केंद्र की यह प्रतिक्रिया उसके अड़ियल रवैया को दर्शाती है। जबकि सरकार चाहे तो मौजूदा जबर्दस्त महंगाई के चल रहे इमरजेन्सी हालात को देखते हुये खासकर पेट्रोल व डीज़ल की कीमतों को दोबारा सरकारी नियन्त्रण में तुरन्त वापस ले सकती है, या फिर इनकी कीमतों को नियन्त्रण में रखने के लिए कुछ सख्त नीति भी बनाकर तेल कम्पनियों की वर्तमान में चल रही मनमानी को भी काफी हद तक रोक सकती है, जिससे जनता को काफी रातह मिल सकती है।

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